गाँव की याद Shikha Kumari Upadhyay
गाँव की याद
Shikha Kumari Upadhyayइन शहरों में है मौजूद सभी
ख्वाहिशों का खूबसूरत महल
जहाँ लोग आते हैं करने अपने
तक़दीर बनाने की उड़ान की पहल।
घर, गाड़ी, नौकर सब मिल जाता है, पर
फिर भी इस रोशनी में अँधेरा नज़र आता है।
पैर एशो-आराम देखकर शहरों में रूक जाते हैं
पर मन के पंछी उल्टे पांव गाँवों की ओर मुड़ जाते हैं।
वो गाँव की पगडंडी पर साइकिल से होड़ लगाना,
और पापा की एक आवाज़ पर डरके घर दौड़े आना।
वो लालटेन की रोशनी में पाखियों का फड़फड़ाना,
रातों को तारों की चमक में कई चेहरे बनाना।
छूट गया वो यादों का झोला गाँव की सरहद पर,
रह गए सब सीखे संस्कार छतों के मुंडेर तक।
इसलिए शहरों में सिर्फ तहज़ीबों वाले सपने पलते हैं,
रिश्तें यहाँ दम तोड़ते हैं और असल में ज़िन्दगी जीने
वाले सफर हकीकत से मुँह फेर लेते हैं।