स्कूल के दिन बहुत याद आते हैं शशांक दुबे
स्कूल के दिन बहुत याद आते हैं
शशांक दुबेवह मासूमियत, वह भोलापन,
बेफ़िक्रे; अल्हड़ से, था दीवानापन।
अब तो सपने भी, हमको बहुत डराते हैं,
सच स्कूल के दिन बहुत याद आते हैं।
स्याही से रंगे; खुश थे, न था कोई गम,
हॉफ पैंट पहने, कभी इठलाते थे हम।
ब्रांडेड कपड़े भी, न अब हमको भाते हैं,
सच स्कूल के दिन बहुत याद आते हैं।।
जब मन चाहे, बस छुट्टी कर लेना,
छोटी अँगुली दिखाकर, कुट्टी कर लेना,
दो अंगुलियाँ मिलाकर, फिर अपना बनाते हैं,
सच स्कूल के दिन बहुत याद आते हैं।
एक से कपड़ों में, सब यार खिल जाते,
पल में झगड़ते, अगले पल मिल जाते।
अब सुकुन है कम, बस चिंता कमाते हैं,
सच स्कूल के दिन बहुत याद आते है।
कितने अच्छे दिन थे, क्या हसीन पल थे,
दिल के साफ़ थे सब,न प्रपंच छल थे।
आओ फिर वैसे ही, कुछ पल बिताते हैं,
सच स्कूल के दिन बहुत याद आते हैं।