आत्म चिंतन शशांक दुबे
आत्म चिंतन
शशांक दुबेपरम्पराएँ
रूढिवादिताएँ
नियम
संयम
क्यों नहीं तुम्हारे लिए?
तुम सबल हो
प्रबल हो
कमज़ोरों
के नेतृत्व के।
सिर्फ इसलिए द्रोही हूँ?
क्योंकि मैं भक्त नहीं
सशक्त नहीं,
तुम पर
आसक्त नहीं?
आत्मचिंतन ज़रूरी है?
क्यों कट रहें हैं
लोग छँट रहें हैं
तुम्हारे नाम पर
या फिर काम पर??