बहुत हैं ढ़ोंगी बाबा शशांक दुबे
बहुत हैं ढ़ोंगी बाबा
शशांक दुबेओ रे भक्त
अब हो जा सख्त
देख मत पहनावा
बहुत हैं ढोंगी बाबा।
सब मौकापरस्त
हैं मदमस्त
क्यों तू सदके जावा
बहुत हैं ढोंगी बाबा।।
कोई कर रहा हलाला
कोई टैक्सों का घोटाला
खूब हैं माल कमावा
बहुत हैं ढोंगी बाबा।।
लगती कोई शर्म नहीं
इनका कोई धर्म नहीं
न काशी है न काबा
बहुत हैं ढोंगी बाबा।।