दिल से शशांक दुबे
दिल से
शशांक दुबेआयान गंगाजल
न आबे-ज़मज़म
की तलाश रखता हूँ।
मैं प्यासा हूँ।
बस पानी की
प्यास रखता हूँ।
क्या लंगर, क्या भंडारा
भूखा हूँ
बस खाने की
आस रखता हूँ।
हाल फ़कीराना
आम सा लगता हो
दौलत दिल की
मैं ख़ास रखता हूँ।