सब राजनीति है शशांक दुबे
सब राजनीति है
शशांक दुबेधर्म-अधर्म
द्रोही-भक्त
कुछ न
नीति-कुनीति है।
देश जिससे ग्रसित है
बस क्षुद्र राजनीति है।
नीला-हरा
सफ़ेद-भगवा
नयनाभिराम
सबरंग है।
स्याह सा जो दिख रहा
इसका ही बदरंग है।
धर्म-संस्कृति-लोकाचार
हो रहे,वार पर वार,
मत जुटाने का भला
ये कैसा प्रबंध है।
दिखती राह,जुदा सी इनकी
पर भीतर,गहरा सम्बन्ध है।