ग़ज़ल Vinayak Soni
ग़ज़ल
Vinayak Soniजो तेरी आँख में आंसू नज़र नहीं आता,
मुझे तो कोई भी रस्ता नज़र नहीं आता।
अगर हो चाहत तो मिल जाती है कोई मंज़िल,
हज़ार चाहने से फिर वो घर नहीं अाता।
मेरे तआरुफ़ में दरिया का नाम आता है ,
में सिर्फ कतरा होता तो नज़र नहीं आता।
उसी पे नाम लिखा पड़ना मोहोब्बत है 'सुभाष ',
वो एक खत जो किसी नाम पर नहीं आता ।