भ्रूण हत्या RATNA PANDEY
भ्रूण हत्या
RATNA PANDEYनहीं बिकेंगे लड़के यहाँ अब लाखों करोड़ों में, सुना है गोदाम सारा भर गया है,
कर रहे हैं आज हत्या कोख में जिनकी, कल उन्हीं को पाना मुश्किल पड़ेगा।
तब पछताएँगे वो, जब अपने बेटों के लिये बेटियाँ ढूँढ नहीं पाएँगे,
और पाँव में छाले पड़ जाएँगे।
समय ने ले ली है करवट, बदल जाएगा सब कुछ यहाँ अब।
लाखों माँगने वाले करोड़ों देने को तत्पर रहेंगे।
अब लग रहा है डर कि वंश आगे कैसे चलेगा ।
कर रहे हैं जो पाप, उसका फल तो आखिर ज़रूर मिलेगा।
आज अपने अंश को जो कोख में ही मार रहे हैं,
उन्हें नहीं पता आने वाले कल में वो अपने वंश को ही मार रहे हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा जो नहीं मानेंगे, वो कल पछताएँगे ,
और ऐसे लोग समाज के लिये घातक बन जाएँगे।
एक पर एक का अनुपात आज बिगड़ गया है,
मत बिगाड़ो इसे वरना एक दिन बहन बेटी
और पत्नी के लिये तरस जाओगे, फिर वंश कहाँ से लाओगे।
जिन्हें बेटी नहीं चाहिये, हे प्रभु उन्हें बेटा भी मत देना।
जब ऐसे पापियों के वंश का अंत होगा, तभी बेटे
और बेटी का अनुपात बराबर होगा।
और हे प्रभु तुम्हारा बनाया नियम तभी फिर से लागू होगा ।
और हे प्रभु तुम्हारा बनाया नियम तभी फिर से लागू होगा ।
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प्राचीन समय से ही महिलाओं को भारतीय समाज में अपने परिवार और समाज के लिये एक अभिशाप के रुप में देखा जाता है। इन कारणों से, हमारे देश में बहुत वर्षों से कन्या भ्रूण हत्या की प्रथा चल रही है। मैं अपनी इस कविता के माध्यम से समाज को इस कुरीति के प्रति सोचने को मजबूर करना चाहती हूँ।