बेटी को बेटी ही रहने दो  RATNA PANDEY

बेटी को बेटी ही रहने दो

RATNA PANDEY

मेरी ज़िंदगी सुबह की ऊषा की लाली बन गई है,
खिलते हुए फूल की ख़ुशबू उसे मिल गई है,
मेरी ज़िंदगी बगीचे की बहार बन गई है,
बारिश की फुहार बन गई है,
धरती पर आई हरियाली बन गई है,
मेरी ज़िंदगी बहते हुए झरने की धार बन गई है,
क्योंकि मुझे एक प्यारी राजकुमारी मिल गई है ।
 

मेरा घर आज खुशियों से महक रहा है,
हर कोना जैसे चहक रहा है,
मेरे परिवार को खुशियों की चाबी मिल गई है,
क्योंकि मुझे एक प्यारी राजकुमारी मिल गई है,
(विरोधाभास)
लोग क्यों अपने घर को नरक बनाते हैं,
बेटी लाकर उसे बहू बनाते हैं,
खुद भी घुटते हैं और उसे भी रुलाते हैं,
दो परिवार एक ही आग में जल जाते हैं।
 

अपने दिल को बड़ा कर के तो देखो,
एक बार उसे कलेजे से लगाकर तो देखो,
प्यार भरा हाथ सर पर फिरा कर तो देखो,
बेटी को बेटी बना कर तो देखो।
 

फिर तुम्हें भी खुशियों की चाबी मिल जाएगी,
जब बेटी, बेटी ही कहलाएगी,
जब बेटी, बेटी ही रह पाएगी ।
 

दिया है अपने दिल का टुकड़ा,
तुम्हें तुम्हारा घर बसाने को,
महकने दो उसे, खिलने दो उसे।
 

न भूलो कल तुम्हारा भी तो आएगा,
तुम्हारे दिल का टुकड़ा भी तो किसी के घर को जाएगा,
करनी है शुरुआत तो फ़िर आज से ही कर दो,
बेटी को बेटी ही रहने दो, बहू का नाम ही मत दो,
बेटी को बेटी ही रहने दो, बहू का नाम ही मत दो।

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