नज़र लग न जाए शशांक दुबे
नज़र लग न जाए
शशांक दुबेनज़र भर न देखो,
नज़र को नज़र से।
नज़र को नज़र की
नज़र लग न जाए।।
शहर में क़हर है
क़हर में शहर है।
ठहर जा शहर में
क़हर हो न जाए।।
ज़हर ही ज़हर को
ज़हर सा है काटे।
ज़हर से ज़हर को
ज़हर हो न जाए।।
पहर दो पहर तू
रुक जा डगर पर।
पहर पर पहर का
पहर हो न जाए।।