कहाँ खो गई Deepak
कहाँ खो गई
Deepakजाने है तो कहाँ रे वो,
चित चोरनी।
मेरे दिल को चुरा कर,
कहाँ खो गई
उसका रस्ता देखा जो,
इक रोज़ तो।
मेरी मंज़िल चुराकर,
कहाँ खो गई
अपने नैनो के खंजर से,
जो हमको घायल किया।
खुद को क़ातिल बनाकर,
कहाँ खो गई
उसके सज़दे मेरा जो,
सर झुक गया।
ऐसे मुस्कुरा कर ,
कहाँ खो गई।
मैंने उसपर एक दिन,
ग़ज़ल जो लिखी।
वो ग़ज़ल गुनगुनाकर,
कहाँ खो गई।