नारी शक्ति RATNA PANDEY
नारी शक्ति
RATNA PANDEYखुल गए दरवाज़े जो बंद थे अब तक,
हो गया उजाला जो अंधेरा था अब तक ।
आ गया सूरज अमावस बीत गई,
जाग गई है नारी तेज़ गति है उसकी।
कर रही है रक्षा आज समूचे हिंदुस्तान की,
मिलेगा अगर मौका, ना चूकेगी कभी, ना रुकेगी कभी।
हर चुनौती को अंजाम तक लाकर रहेगी।
है शक्ति नारी में माँ दुर्गा भवानी की,
राक्षसों का संहार करने में नहीं पीछे हटेगी।
तलवार खींच ली अगर म्यान से उसने,
ना भूलो झाँसी की रानी का रूप धारण कर लेगी।
रथ के दोनों पहिये बराबरी से चलते हैं जहाँ,
वह परिवार खुशहाल रहता है वहाँ।
यह बात जो सीमित थी अभी तक परिवार तक,
वह बात थी कल की, जो बीत गई अब तक।
हो गया है विश्वास अब,
कदम से कदम मिलाकर चलना है और देश के लिए लड़ना है।
आज तो दो बूँद खून की जहाँ तुम्हारी गिरेंगी, कसम है मातृभूमि की,
चार बूंदें तुम्हें वहाँ हमारी भी मिलेंगी,
चार बूंदें तुम्हें वहाँ हमारी भी मिलेंगी।
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प्राचीन युग से ही हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में भी भारतीय नारियों के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती है । आज नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है । विज्ञान व तकनीकी सहित लगभग सभी क्षेत्रों में उसने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है । उसने समाज व राष्ट्र को यह सिद्ध कर दिखाया है कि शक्ति अथवा क्षमता की दृष्टि से वह पुरुषों से किसी भी भाँति कम नहीं है । मैंने अपनी कविता के माध्यम से यही बात समझाने की कोशिश की है।