रूढ़ियों को तोड़ दो Shweta Thakur
रूढ़ियों को तोड़ दो
Shweta Thakurरूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।
अशिक्षा और बाल विवाह
जैसी कुरीतियों को,
जड़ से है उखाड़ना,
समाज की विपत्तियों को,
रीतों की जंजीरों को तुम
मिल के आज तोड़ दो।
रूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।
दहेज और भ्रूण हत्या
जैसे अत्याचारों को,
मिलके है मिटाना,
खोखली परम्पराओं को,
पाप का घड़ा जो भर चुका है
उसको फोड़ दो ।
रूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।
शिक्षा के बगीचे में
हमें ही फूल खिलाने हैं,
उन्नति की राहों के
कांटे हमें हटाने हैं,
देश के भले के बारे में
कुछ तो सोच लो।
रूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।
अपने विचार साझा करें
भारत जिसे एक समय 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था, जहाँ नारी को देवी का दर्जा मिलता है, वो देश आज पुराने घिसे पिटे रीति रिवाजों व परंपराओं के बोझ तले दबता जा रहा है। कहीं १२ वर्ष की लड़की के हाथ पीले किए जा रहे हैं तो कहीं किसी दुल्हन को ज़िंदा जलाया जा रहा है। कहीं कन्या के पैदा होने से पहले ही उसे मार दिया जा रहा है और कहीं कुछ बच्चों को शिक्षा का अधिकार तक नहीं मिल पा रहा। ना जाने कब तक ये कुरीतियाँ हमारे देश को जकड़ के रखेंगी। अब समय आ गया है कि हम, रूढ़ियों को तोड़ दें, परम्पराएँ मोड़ दें, जिसमें देश का भला न हो वो काम छोड़ दें।