रूढ़ियों को तोड़ दो  Shweta Thakur

रूढ़ियों को तोड़ दो

Shweta Thakur

रूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।


अशिक्षा और बाल विवाह
जैसी कुरीतियों को,
जड़ से है उखाड़ना,
समाज की विपत्तियों को,
रीतों की जंजीरों को तुम
मिल के आज तोड़ दो।


रूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।


दहेज और भ्रूण हत्या
जैसे अत्याचारों को,
मिलके है मिटाना,
खोखली परम्पराओं को,
पाप का घड़ा जो भर चुका है
उसको फोड़ दो ।


रूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।


शिक्षा के बगीचे में
हमें ही फूल खिलाने हैं,
उन्नति की राहों के
कांटे हमें हटाने हैं,
देश के भले के बारे में
कुछ तो सोच लो।


रूढ़ियों को तोड़ दो
परम्पराएँ मोड़ दो,
जिसमें देश का भला न हो
वो काम छोड़ दो।

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