69 वर्ष बीत गए  Aryan Kumar

69 वर्ष बीत गए

Aryan Kumar

सड़सठ वर्ष बीत गए,
वर्ष अष्टाषष्टितम है आया,
अब देखना है कि इन
वर्षों में कौन क्या है सीख पाया ?


जो न कोई कर पाया करोड़ो में,
हमने अपने बूते हज़ारों में कर दिखाया है,
चाँद तो पीछे छूटा,
हमने तो मंगल को भी पाया है।


रोज़ाना खबर सुनते,
बढ़ते हुई आबादी की,
यशोगान की बात नहीं,
वह तो शुरुआत है बर्बादी की।


इस शतपत्र कमल की,
प्रत्येक पंखुड़ी को बराबर सींचकर,
हमने तो अपने आस्तीनों में,
साँप को भी पाला है अखियाँ मीचकर,
फिर भी इन मनचाहे जयचंदों,
ने हमे तमाचा लगाया है खींचकर।


हमारी फ़ौजों ने,
शत्रु दुर्ग पर विजय पताका लहराई है,
विष उन्होंने पिया,
हमें तो केवल दावत खाई है,
हर संग्राम के बाद,
कुछ बच्चे अनाथ कहलाएँगे,
एक पुरस्कार दे कर,
इनके बाप का नाम सब भूल जाएँगे।


सड़सठ वर्ष बीत गए,
वर्ष अष्टाषष्टितम है आया,
अब देखना है कि इन
वर्षों में कौन क्या है सीख पाया ?

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