आखिर स्त्री क्या है ?  bhagwati verma

आखिर स्त्री क्या है ?

bhagwati verma

स्त्री लक्ष्मी है,
फिर क्यों वही लक्ष्मी,
विष्णु के चरणों में विराजमान है।
विवाहित स्त्री की पहचान क्या है?
गले में मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर, हाथों में चूड़ा और पैरों में बिछियां
विवाहित पुरुष की पहचान क्या है?
कोई जाने नहीं, कोई बंधन नहीं।
क्या एक स्त्री की यही पहचान है,
क्यों वो इन सबसे अनजान है।
जब वेदों में स्त्रियों पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं,
तों क्यों वह अपने ही घर में स्वछन्द नहीं।
अगर वह एक पवित्र गीता है,
तों क्यों उस गीता में द्रौपदी को कुछ लोगों नें जीता है।
जब स्त्री और पुरुष दोनों जग के आधार हैं,
तों एक श्रेठ और दूसरा क्यों बेकार है।
अगर ममता की वह मूरत है,
प्यारी उसकी सूरत है,
फिर क्यों द्रौपदी का चीरहरण हो,
क्यों सीता का अपहरण हो।
नारी तू यह जान ले,
अपने मन में यह ठान ले।
अगर स्त्री नहीं तो,
ताजमहल किसकी याद में बनता।
अगर स्त्री नहीं तो,
पुरुष कहाँ से आता।
अगर स्त्री नहीं तो,
यह संसार कैसे बनता।
तू इस जग की जननी है,
इस जग को यह बात माननी है।

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