शौर्य का परचम  Arun Mishra

शौर्य का परचम

Arun Mishra

गहन नींद मे सो रहा है,
दुश्मन काँटे बो रहा है,
पथ भ्रमित हो चला युवा,
देश-प्रेम कहीं खो रहा है।
 

आत्मग्लानि छोड़ उठ चल राही,
रक्तों में उबाल उठा,
सूर्य अस्त हो रहा जहाँ पर,
सूर्य उदय की किरण फैला।
नमन करेगा हर प्राणी,
बस तू युद्ध का शंख बजा।
 

हिमगिरी सेवा मे आतुर हो,
भारत माँ का रक्षक बन,
सीमापार के अशुभ नयनों का
लौहपुरूष येन भक्षक बन।
 

बीज बोकर तू साहस का,
बँजर भूमि में भी फसल उगा,
वीर पैदा कर उस भूमि मे,
अश्रु की हर बूँद को खँजर बना।
 

नाश कर सभी पापियों का,
दिल मे उत्साह की लौ जगा,
नमन करेगा हर प्राणी,
बस तू विजय का परचम लहरा।
नमन करेगा हर प्राणी,
बस तू विजय का परचम लहरा।

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