एक आस  Payal Maru

एक आस

Payal Maru

आज भी एक माँ अपने आँसू दबाए सी है,
कहीं दूर, एक बेटी पढ़ने को तरसी सी है,
एक औरत, अपने जख्मों से हरी है,
एक बहन, अपने भाई में ही हर खुशी समाए सी है,
आज भी उसके पर कटे हैं, पग बँधे हैं
पर वो घबराई नहीं है।


उस बेकसूर नादान ने जबरन ही मृत्यु को चुना है,
उस मासूमियत ने चुपचाप हर जुल्म सहा है,
दिलासा सब देते हैं,
हक़ का ज़िक्र कोई करता नहीं,
बदलते वक़्त को तो देखो,
इनके हौसलों पर आज आसमान भी सर झुकाए है।


ना, अब और नहीं,
हम अपना दौर खुद ले आएँगे,
बिलखती माँ को गूँजती किलकारी लौटाएँगे,
हम अपना समय खुद लाएँगे,
राख सी हथेली का भविष्य खुद लिखेंगे,
अपना आशियाना खुद सजाएँगे।


उन गमगीन आँखों के सपने,
उन नन्हे कदमों की प्यास,
उस हँसी को आवाज़,
हम सब मुक्कमल कर लाएँगे,
है एक आस।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
964
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com