हम किसके  dik jajo

हम किसके

dik jajo

बचपन से ही पाला है नाज़ों से,
अपने से ज्यादा, लड़कों से कम,
डर से सुलाया, भय से उठाया,
लोगों के डर से ब्याह हमारा रचाया है जल्दी,
खुशियों के मौकों में जाता है छुपाया हमें,
दर्द के अवसर पर हम ही कोसने का हैं कारण बनते,
बाहर निकलने पर सवालों की धारा,
न निकलने से बेकार होने का जुर्माना,
हो पुस्तक हाथ में, कहते हैं शान हैं ये लड़कों की,
माँगे रंग-बिरंगी चीज़ें, इलजाम हैं लगती माँ के आंचलों को,
पैदा क्यों हुई कहते चुकते नहीं ये,
लाडो है, रानी है तू हमारी,
अगले दिन घर की कलंक है तू,
रोने पर आँसू नहीं पोंछ, होती हैं फरमाइश सुनाने की,
हँसते-हँसाते पर, लगा रहता है डर लोगों के कहने का,
बेटी हूँ माँ-बाप की, प्यारी हूँ अपने भाई की,
यह सोच दिल पिघल जाता हमारा,
होती हैं शेरनी लड़कियाँ, बिन कहे रोती कहने पर हँसे ही हँसाती लड़कियाँ।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1160
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com