ज़िंदगी एक संघर्ष Devendra Raj Suthar
ज़िंदगी एक संघर्ष
Devendra Raj Sutharज़िंदगी एक संघर्ष है,
तुम उसे स्वीकार करो।
हार हो या जीत तुम्हारी,
तुम उसे अंगीकार करो।
पथ में बाधाएँ अगणित,
विपदाओं से प्यार करो।
गरीबी हो भले घनघोर,
तुम नए अविष्कार करो।
जो मिले जितना मिले,
तुम उसका सत्कार करो।
तक़दीर को मत कोसो,
मेहनत से दुलार करो।
हिंसा से रहो हमेशा पीछे,
मत किसी से तक़रार करो।
छल-प्रपंच-अन्याय का,
डटकर तुम प्रतिकार करो।
हताशा में न मिलेगा कुछ,
ज़िंदगी तुम मत बेकार करो।
आशाओं से आलिंगन कर,
तुम स्वप्न अपने साकार करो।
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प्रस्तुत कविता जीवन में आशावादी दृष्टिकोण अपनाने की पुकार करती है। मानव जीवन संघर्ष का पर्याय है। इस संघर्ष से डरकर नहीं अपितु लड़कर ही जीवन सफल हो सकता है। कवि ने खाली हाथ बैठेने, उदासीनता से जीवन जीने से कई अच्छा, मेहनत करके किस्मत को बदलने की बात कही है। साथ ही, जीवन अंधकार में सदैव आशा का दीपक जलाए रखने का आवाह्न किया है।