नन्हें कदम NEGI HUKMA MEHTA
नन्हें कदम
NEGI HUKMA MEHTAइन नन्हें क़दमों के हौसले बुलंद,
रुकना नहीं चाहे जो भी हो अड़चन।
दुनिया के संग में रहकर चलते जाना है,
हर दिल करे सलाम ऐसा मुकाम पाना है।
आगे पत्थर हो या हो पहाड़,
रुकना नहीं चलते जाना हर बार,
फूलों से स्वागत हो या काँटों से हो वार,
शांति से खुद को समझाना हर बार,
एक दिन क्षितिज पर पहुँचने के बाद,
काँटे भी करेंगे इन हौसलों का सम्मान।
इन नन्हें क़दमों के हौसले बुलंद,
रुकना नहीं चाहे जो भी हो अड़चन।
अपने इरादों को बुलंदी तक पहुँचाना है,
स्वर्णिम अक्षरों में भारत का नाम लिखवाना है,
तारों की तरह उस आकाश में टिमटिमाना है,
जुगनू की तरह अन्धकार में प्रकाश फैलाना है,
अपनी मंजिल को पाने के लिए,
इन नन्हें क़दमों को लड़खड़ा कर भी संभल जाना है।
इन नन्हें क़दमों के हौसले बुलंद,
रुकना नहीं चाहे जो भी हो अड़चन।
कहने को खुदा कभी धरती पर न आया है,
मैंने अपनी मंजिल को अपना खुदा बनाया है,
हालात चाहे जैसे भी हों ,
हर हालात में उड़ना संगतकारों ने सिखाया है।
इन नन्हें क़दमों के हौसले बुलंद,
रुकना नहीं चाहे जो भी हो अड़चन।