कहानी बाती की प्रीती दुबे
कहानी बाती की
प्रीती दुबेसपनों की दुनिया में खोए थे,
ये आज कहाँ हम आ बैठे।।
हक़ीक़त की दुनिया में आकर,
हम अपने सपने जला बैठे।।
ग़ैरों की खुशियों की ख़ातिर,
हम अपनी खुशियाँ लुटा बैठे।।
उसे तो प्यार, कभी था ही नहीं,
हम उस से ही, दिल लगा बैठे।।
जलना तो बाती की किस्मत में था,
लोग नाम दिए का बता बैठे।।