कलयुग में कृष्ण Rahul Kumar
कलयुग में कृष्ण
Rahul Kumarहे द्वापर वाले कृष्ण आज आ पड़ी जरूरत फिर एक बार,
कलयुग में मानवता की, हो रही है हत्या बारम्बार,
हे कान्हा! आओ फिर तुम एक बार।
तेरी जान बचाने को माँ ने, तुझे यशोदा घर भेजा,
माँ से अब जान छुड़ाने को, बच्चे ने उसे वृद्धाश्रम भेजा,
राधा कृष्ण के अमर प्रेम का हर दिन होता अब बलात्कार,
हे मुरली वाले कान्हा! आओ फिर तुम एक बार।
वो द्वापर था ये कलयुग है, वहाँ एक कंस यहाँ “कंसें” हैं,
बच्चे साँसों को बिलख रहे, भँवर में सारे रिश्ते हैं,
अब पग-पग पर है चीर हरन, बहनें करती हर वक़्त पुकार,
रे कान्हा! आओ फिर तुम एक बार।
वहाँ एक अर्जुन था मोहग्रस्त, यहाँ पूरा लोक भरमाया है,
रूप, रस, आडम्बर का बस सब के सिर पर माया है,
शुभ औ अशुभ के महाभारत में अब किसकी हो जयजयकार,
हे कॄष्ण! आओ फिर तुम एक बार।
अब विदुर नीति की जगह स्वार्थनीति बलशाली यहाँ,
कोई नेता, देश प्रेम की बात करे, ऐसा न कोई भीष्म यहाँ,
ललकार रहे मूल्यों को अब पैसा, शोहरत और अहंकार,
हे कृष्ण! आओ फिर तुम एक बार।
दिखला दो अपना विराट रूप, समझा दो फिर से धर्म सूत्र,
कर दो विनाश अधर्मी का, ला दो फिर से जीवन पवित्र,
भगवन उठा फिर वही सुदर्शन, इस घोर तिमिर के तुम पतवार,
हे गिरधर गोपाल! आओ फिर तुम एक बार।
अपने विचार साझा करें
कृष्ण एक प्रतीक है घोर अंधेरे में उजाले का, काली रात में सुबह के उजाले का। द्वापर का महाभारत सिर्फ एक राजवंश की कहानी थी, लेकिन आज तो महाभारत हर घर में हो रहा है। आज का दृश्य उस समय से काफी ज्यादा वीभत्स हो गया है। आज हर जगह आडंबर, लालच, प्रपंच, चोरी, हत्या और चरित्रहीनता अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गयी है। ऐसे में आज हर मन में फिर से उस मुरलीधारी की जरूरत महसूस हो रही है।
