वाद-विवाद शशांक दुबे
वाद-विवाद
शशांक दुबेकौन किस "पंथ" का?
प्रश्न बड़ा गूढ़ है,
मंज़िल मगर एक है,
क्यों लड़ रहे ये मूढ़ हैं?
कौन किस "वाद" का?
अलग भले विचार हैं,
देश की अखण्डता पर
क्यों कर रहे प्रहार हैं?
विधर्मी-धर्मी, जात-पात
कर रहे सब व्यर्थ बात,
राजनैतिक क्षुद्रता का
बस हो रहा प्रचार है?
मृत्यु-जीवन सत्य एक
मिथ बाकी लगते हैं,
जीत किसी एक की
मनुष्यता की हार है।