मेरी लाडली  Rahul Kumar

मेरी लाडली

Rahul Kumar

सुबह होने वाली थी, गर्मी का महीना था,
तारे थक कर चूर थे, अम्बर भी अलसाया था,
और मेरे घर एक परी का स्वागत होने वाला था,
हाँ, मेरी लाडली का जन्म होने वाला था।
 

मोती जैसी आँखों के साथ डिंपल वाली स्माइल है उसकी,
बेवजह मुझे सताना सबसे पुरानी आदत है उसकी,
मेरे से लड़ने पर, भैया लव यू बोल कर मनाना फितरत है उसकी,
दिल से कहूँ, मेरी लाडली रौनक है घर की।
 

मैं फूला नहीं समाता हूँ, कुदरत का ये तोहफा बड़ा प्यारा है,
उस चुलबुली ने मेरी रंगहीन दुनिया को कई रंगों से सँवारा है,
बहन है मेरी, अजीज दोस्त भी है वो और न जाने कितने तरह का रिश्ता है,
सच में, मेरी लाडली से मेरा अटूट नाता है।
 

खुद से पहले वो मेरा सोचती है, भैया सबसे अच्छे हैं कहते नहीं थकती है,
दिल खोलकर हँसती है जब साथ होती है, जाने पर सबसे पहले उदास होती है,
बात मानो तो जान लुटा दे और न मानें तो, माँ से कह दूंगी, धमकी भी देती है,
सच कहूँ तो मेरी लाडली अब मेरी ज़िंदगी है।
 

मेरी जीवन बगिया की सबसे खूबसूरत फूल है,
मेरी रातों की लोरी और सुबह की कोयल है,
सबके आँखों का तारा और दिल का नूर है,
दिलों में बसी मेरी लाडली हर गम से दूर है।
 

कैसे बयाँ करूँ क्या है वो, दूर होकर भी पास है मेरे,
दुनिया के दिए गहरे जख्मों का मरहम है वो मेरे,
इस भव सागर को पार करवाने वाली एक नैय्या है मेरी,
मेरी लाडली रब मेरे हिस्से की खुशियाँ भी दे दे तुझे।
 

अपने बुलंद हौसलों से ज़िन्दगी को चुनौती देने चली है,
सपनों को पंख दे रूढ़िवादी समाज को बदलने चली है,
घर की इज्जत और खुद की मर्यादा को संभाल अकेले लड़ने चली है,
मैं मानता हूँ मेरी लाडली बहुत हिम्मती है।

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