उनके मन का प्यार Arun Mishra
उनके मन का प्यार
Arun Mishraकह रही थी आँखे उनकी
मस्तियों मे झूम के,
हुस्न है मेरा वही
जहाँ तेरा दीदार है।
ये तन नहीं रहा मेरा,
ये मन नहीं रहा मेरा,
जीवन नहीं रहा मेरा,
ये उनके मन का प्यार है,
ये उनके मन का प्यार है।
निशानियाँ हैं प्यार की
उनके काले बालों में,
चक्षु नैन के नशे में है
और उनके लाल गलों में,
ये धड़कनें नहीं मेरी
ये रहनुमा नहीं मेरा
ये साँसें भी नहीं मेरी,
ये उनके मन का प्यार है,
ये उनके मन का प्यार है।
इन्द्रधनुष बने हैं वो
सतरंगो के इस मेल में,
छन्द सा लगे है वो
पंक्तियों के सन्मेल में,
ये रंग नहीं रहा मेरा,
ये छन्द नहीं रहा मेरा,
जीवन नहीं रहा मेरा,
ये उनके मन का प्यार है,
ये उनके मन का प्यार है।
