एहसास के बादल  Arjit Pandey

एहसास के बादल

Arjit Pandey

जब रात की परतें बिछती हैं,
जब चाँद छुपकर निकलता है,
जब पत्ते झूमकर गाते हैं,
जब शोर खुद से बिछड़ता है,
तब तुम खयालो में
मेहमान बनकर आती हो,
रहती हो मेरी यादों में
अपनी दुनिया बसाती हो।
 

फिर बहकी-बहकी हवा चलती
मैं दीवाना बन जाता हूँ,
एहसास के उठते बादल पर
पक्षी बनकर उड़ जाता हूँ।
 

तुम देखती दूर निगाहों से
ऐसा हरपल मुझे लगता है,
याद रूप धर कर नर का
दूल्हा बनकर सजता है।
 

नींद मेरी दुल्हन बनकर
बैचैनी का जेवर पहने
नैन बाबुल का अंगना छोड़
प्रेम पिया संग जाती है,
फिर मैं दीवाना बनकर
तेरे खवाब में जीता हूँ,
तन्हाई की चादर बुनकर
अरमानों की सिलता हूँ।

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