रिश्तों की कमीज SONIT BOPCHE
रिश्तों की कमीज
SONIT BOPCHEरिश्ते भी कमीज सरीखे होते हैं,
कुछ नए कुछ पुराने तो कुछ फटे हुए।
नए वाले अच्छे हैं
चमक है उनमें,
पार्टी फंक्शन में पहनता हूँ
कुछ रौब भी जम जाता है
सम्हाल कर रखे हैं अलमारी में।
पुराने वालों में अब वो चमक नहीं,
घर में पहनने के काम आते हैं।
गिले शिकवे होते हैं पर इतनी दिक्क़त नहीं,
एक दो बटन टूट भी जाए तो चलता है,
और इस्त्री की उन्हें आदत नहीं।
और एक सन्दूक में कुछ फ़टे हुए भी रखे हैं,
हाँ सन्दूक में, सन्दूक भी पुराना है,
निकाल लेता हूँ साल में एक आध बार,
अक्सर होली में क़्योंकि
कितना भी रंग चढ़ा लो इनपर
कोई फर्क नहीं पड़ता,
बड़े बेरंग से हो गए हैं
बस कुछ पल तन ढक लेता हूँ
जब तक वो और नहीं फटते।
पर..
कल दिल बैठ गया था मेरा
जब तुम बोली कमीज बदलनी है,
नई चाहिए थी तुम्हें।