आज़ादी की कीमत संजय साहू
आज़ादी की कीमत
संजय साहूआज़ादी के दीवानों ने तन -मन -धन सब वार दिया,
एक तिरंगे की खातिर अपना जीवन भी हार दिया।
एक भारत-श्रेष्ठ भारत का तब भी उनको ध्यान था,
रणभूमि में सोलह बार धूल चटा दी ऐसा वीर महान था।
अपनी आज़ादी की खातिर कतरा कतरा रक्त बहाया है,
उन आज़ादी के दीवानों ने तो अपना सर्वस्व लुटाया है।
आवाह्न है युवाओं तुमसे आज़ादी की कीमत को जानो तुम,
देश-द्रोही गद्दारों को उनकी औकात दिखा दो तुम।
गणतंत्र दिवस का पावन पर्व स्मरण है उनकी शहादत का,
इस आज़ादी को फिर ना खोना कर्ज है उनकी इबादत का।
।।वंदे मातरम्-जय हिन्द।।
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आज हम सब आधुनिकता के जीवन में जी रहे हैं। किसी से किसी को कोई मतलब नहीं होता सब अपने में वयस्त रहते हैं। राष्ट्रीय पर्व पर ही हमें देश की याद आती है और कुछ समय में चली जाती है। हम उन शहीदों के बलिदान को भूलते जा रहे हैं और हमारी इस भूल का कुछ देश के भीतर छिपे ग़द्दार फायदा उठाकर देश के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। अतः हमें अपनी आज़ादी की कीमत को जानना चाहिए और एकजुट होकर रहना चाहिए ताकि हम इस आज़ादी को फिर से ना खो दें।