जश्ने जफ़र  Ravi Panwar

जश्ने जफ़र

Ravi Panwar

जश्ने जफ़र मुझे याद आ जाते हैं,
मेरी दोस्ती के सफर मुझे याद आ जाते हैं,
जभी-जभी मेरी कलम ने चलना सीखा था,
तभी-तभी उन लफ़्ज़ों के ज़ख्म याद आ जाते हैं।
 

खुली आँखों से ख्वाब को,
फकत वही जनाब जो,
मेरे सिलसिले पहचान जाते हैं,
मैं भूल नहीं पाता मगर वो भूल जाते हैं,
जश्ने जफ़र मुझे याद आ जाते हैं।
 

इबादत मेरी खफा है आज उनसे,
जो मुझको आजमाते हैं,
वो मसरूफ किस्मे हैं,
जो बेजा मुझसे नज़रें चुराते हैं।
 

मुझे भी नाज है इन पर,
ये आँसू मेरा जलीले दर्द बहाते हैं,
फुरकत मैं फ़राज़ मुझको,
जश्ने जफ़र बहुत ही याद आ जाते हैं।

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