प्रेम की देवी Saurabh Awasthi
प्रेम की देवी
Saurabh Awasthiमैं साधक हूँ तुम स्वामी हो
मेरे मन की अन्तरयामी हो,
मैं निरा भाग्य का मारा हूँ
तुम उन्नति पथ की गामी हो।
तुम ब्रम्हा हो मैं मानव हूँ
तुम अति यथार्थ मैं भ्रामक हूँ,
तुम शाश्वत हो मैं अनवस्थित
तुम स्पष्ट सत्य मैं आरक्षित।
तुम अपने पावन भावों से
मेरी दूषित बुद्धि शुद्ध करो,
अपने व्यक्तित्व प्रभावों से
मेरी मन्दता को प्रबुद्ध करो।
मैं प्रेम का तेरे याचक हूँ
याची की प्रार्थ स्वीकार करो,
हे मेरे प्रेम की देवी
मेरी प्रीत की नौका पर करो।