आईना Anil Shukla
आईना
Anil Shuklaवो मुस्कराता हुआ आइना
उसको देख-देख इठलाता है,
उसकी उन बिखरी हुई ज़ुल्फ़ों को
व्यथित गीत बनाता है,
उसके गालों की मृदुता देख
खुद से आँख चुराता है।
उसके होंठो की वो लाली,
खिलते गुलाब को रिझाती है,
वो मीठी झील सी आँखे,
मेरे दिल की प्यास बुझाती हैं।
मेरा मन कुछ यूँ आईने से
एक प्रश्न करता जाता है,
वो मुस्कराता हुआ आईना
उसको देख-देख क्यों इठलाता है?