आज की संसद  Vinay Kumar Kushwaha

आज की संसद

Vinay Kumar Kushwaha

संसद तो अब दिख रही है जंग का मैदान,
संसद में छिड़ गया है युद्ध घमासान।
 

बाहर-भीतर चल रहा है उठा-पटक का दौर,
एक दूसरे को पस्त करने की है कोशिश पुरजोर।
 

शोरगुल से गूँज उठा है पूरा आसमान,
कोई किसी से कम नहीं, कैसे हो समाधान?
 

देश की अखण्डता, सम्प्रभुता के लिए लेते हैं शपथ,
संसद में पहुँचते ही करते हैं खूब छल-कपट।
 

कार्यवाही बाधित कर करते संसद का अपमान,
ऐसा ही चलता रहे फिर देश कैसे बने महान?
 

क्षेत्र भ्रमण करते नहीं फिर भी लेते हैं भत्ते,
निज वेतन गर हो बढ़ाना, बिल पास कराएँ हँसते-हँसते।
 

आरोप-प्रत्यारोप लगाकर भटका रहे जनता का ध्यान,
जनता को गुमराह करने का ये है तरीका आसान।

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