बेरहमी  Deepak

बेरहमी

Deepak

वैहशत के हैवानों ने,
बच्ची को लाश बनाकर छोड़ दिया,
अभी तो नन्हा फूल थी वो,
बड़ी बेहरहमी से तोड़ दिया।
 

लाडो की उड़ानें बाक़ी थी अभी
नीलगगन को छूने की,
उसके सपनों का महल,
पलभर में ही तोड़ दिया।
 

वो राक्षस है,
वो हैवान है,
मूर्त बनकर बस वो देख रहा,
क्या सच में मूर्त में भगवान है।
 

मेरी देश की लाडो का,
जो उन लोगों ने तिरिस्कार किया,
बस हवस मिटाने की ख़ातिर,
इंसानियत को शर्मसार किया।

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