मैं कैसे पहचान करूँ Jay Singh Yadav
मैं कैसे पहचान करूँ
Jay Singh Yadavकौन है हिन्दू कौन है मुस्लिम कैसे मैं अब पहचान करूँ,
जन्म हुआ एक ही जैसा फिर मैं कैसे पहचान करूँ।
एक ही जैसा माँ का आँचल एक ही जैसा ढूध पिया,
मिली परवरिश एक ही जैसी फिर कैसे मैं पहचान करूँ।
नहीं किया वो भेदभाव फिर मैं कैसे पहचान करूँ,
रूप दिया सांचों में गढ़कर फिर भी न पहचान दिया,
बनाकर एक ही जैसा हमको इस धरा पर भेज दिया,
नाम दिया मानव जब उसने फिर भी न दूजा नाम दिया।
कौन है अल्लाह कौन है ईश्वर ये कैसे पहचान करूँ,
रूप न देखा आज तलक फिर कैसे पहचान करू।
ऊपर बैठा न कोई अल्लाह न तो कोई भगवान है,
कोई बताए आकर हमको हम कैसे पहचान करें।