ये चित्र शशांक दुबे
ये चित्र
शशांक दुबेये चित्र भी न
होते हैं विचित्र,
कभी चेहरा सच्चा
झूठा होता है चित्र,
कभी झूठा चेहरा
सच्चे होते हैं चित्र।
बस इतना समझिए
मेरे प्यारे मित्र,
सबसे ज्यादा ज़रूरी
अच्छा हो चरित्र।
लो रख दिया मैंने
व्याख्या सचित्र,
ये चित्र भी न
होते हैं विचित्र।