डूबती लहर  Kaushalesh Rajput

डूबती लहर

Kaushalesh Rajput

इन टपकते आँसुओं को
अपनी हथेलियों का सहारा दो,
मैं डूबती लहर हूँ, ए दरिया!
हो सके तो मुझे किनारा दो।
 

यूँ मेरे आँगन के हिस्से की चाँदनी
तुम मुझसे छीन नहीं सकते,
क्या तुम अपने सीने में,
दिल, दिल नहीं रखते ?
ताउम्र हम फरियाद करते रहेंगे,
वरना जो हक था हमारा दो,
इन टपकते आँसुओं को,
अपनी हथेलियों का सहारा दो।
मैं डूबती लहर हूँ, ए दरिया !
हो सके तो मुझे किनारा दो।
 

मालूम है हमें कि उसका
इश्क बिल्कुल फरेब था,
फिर भी मेरा दिल क्यों कहता है
कि शायद मुझमें ही कुछ ऐब था।
मेरा कत्ल कर दो तुम "कौशल"
या फिर मुझे जीने की वजह दुबारा दो,
इन टपकते आँसुओं को,
अपनी हथेलियों का सहारा दो।
मैं डूबती लहर हूँ, ए दरिया !
हो सके तो मुझे किनारा दो।

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