गरीबी की पीड़ा Harsh Trivedi
गरीबी की पीड़ा
Harsh Trivediरोज़ रात लोगों के घर डिनर होते हैं,
तो दूसरी ओर लाखों लोग सड़कों पर भूखे सोते हैं।
गरीबी में इंसाफ का फूल बहुत महंगा बिकता है,
ईमान का पेड़ बहुत कम समय टिकता है।
जो पास हो उसे भी खोना पड़ता है,
अगर तक़दीर में दुःख हो तो रोज़ रोना पड़ता है।
अमीरी में धन के माध्यम से सच को बदला जाता है,
पर अब उन्हें कौन बताए,
मौत का फ़रिश्ता जब आता है
बिना रिश्वत लिए उन्हें ले जाता है।
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इस कविता के माध्यम से समाज में गरीब के साथ कैसा कठोर व्यवहार किया जाता है तथा एक गरीब व्यक्ति को जीवन में कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ये दर्शाया गया है। इस कविता में अमीर लोगों द्वारा अपने धन के दुरूपयोग को भी बताया गया है। ईश्वर जब न्याय करता है तो वह अमीर या गरीब में भेदभाव नहीं करता।