आज ज़रुरत है हिंदी की PREM KUMAR KULDEEP
आज ज़रुरत है हिंदी की
PREM KUMAR KULDEEPआज ज़रुरत है हिंदी की
हम सबको जोड़े रखने की,
आतंक और अत्याचार मिटा कर
देश में अमन जगाने की।
स्वतंत्रता के घनघोर संघर्ष में
हिंदी ने सबको एक सूत्र किया,
जाति और धर्मों की गलियों में
इन्कलाब का उद्घोष किया।
हिंदी ने जीवन आभास दिया है
भारत को नव अभिमान दिया है,
उत्कृष्ट शब्दों का एहसास दिया है
संस्कारो का पाठ दिया है।
आदर्शों की मिसाल यह हिंदी
सुविचारों की सीख है हिंदी,
शांति का पैगाम यह हिंदी
स्वर्णिम भारत का अभिमान है हिंदी।
इसकी सरलता और सहजता ने
ज्ञान की राह को आसन किया है,
इसके सुंदर अक्षर और लिपि ने
रचना को सदा नव सृजन दिया है।
प्रगति की कठिन डगर को
हिंदी ने एक मार्ग दिया है,
विज्ञान और व्यापार गति को
सतत बढ़ने का संचार दिया है।
इसकी प्रगति और उन्नति में
हम सब का है सहयोग अपेक्षित,
सब मिलकर करें हम हिंदी में काम
तब “प्रेम” से होगा हिंदी का सम्मान।
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राजभाषा और हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी हेतु यह एक बहुत ही सुंदर कविता है जो हिंदी की सादगी और सरलता के साथ-साथ उसकी उत्कृष्टता और सुन्दरता को दर्शाती है। यह कविता देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में हिन्दी के योगदान और व्यापर, विज्ञान और विकास में हिंदी की भूमिका से पाठक को परिचित करवाती है।