मैं क्यों खोया हूँ Vinay Kumar Kushwaha
मैं क्यों खोया हूँ
Vinay Kumar Kushwahaयूँ तो जीता हूँ वर्तमान में,
पर क्यों अतीत में खोया हूँ।
दिखती है लबों पर खुशी मगर,
गमों के संगीत में खोया हूँ।
हारा सा महसूस करता है दिल,
लोगों को लगता है जीत में खोया हूँ।
अपना किसी ने समझा ही नहीं मुझे,
फिर किसके छद्म प्रीत में खोया हूँ।
न हासिल हो सकता जो,
उसे ही पाने की जिद में खोया हूँ।
अपने कर गए बेगाना,
दुनिया की किस रीत में खोया हूँ।
मर भी जाऊँ तो ग़म नहीं क्योंकि,
मैं इस दुनिया की हर चीज़ में खोया हूँ।