मैं साथ तिरंगा लाया हूँ B Seshadri "Anand"
मैं साथ तिरंगा लाया हूँ
B Seshadri "Anand"फूल और माला नहीं हाथ, मैं साथ तिरंगा लाया हूँ,
झुका हुआ सिर बैरी का, सौगात तिरंगा लाया हूँ,
नई नवेली दुल्हन की तो माँग पोंछ मैं आया था,
मात-पिता को देश की खातिर रोता छोड़ मैं आया था,
उनके त्याग की खातिर मैं दे मात मौत को आया हूँ,
फूल और माला नहीं हाथ, मैं साथ तिरंगा लाया हूँ।
जगह-जगह दुश्मन मेरा तो घात लगाकर बैठा था,
मैं भी अपने देश की खातिर जान लगाकर बैठा था,
समझाने से वह तो हरगिज समझ न पाया बोली से,
हथियार उठाकर फिर तो उसको समझाया था गोली से,
दुश्मन को औकात बता मैं उसे झुकाकर आया हूँ,
फूल और माला नहीं हाथ, मैं साथ तिरंगा लाया हूँ।
जब तक भी मैं ज़िंदा हूँ इन बाजू में बल है जब तक,
कोई दुश्मन मेरे देश को छू न पायेगा तब तक,
सूरज पश्चिम से निकले चाहे हिमालय झुक जाए,
बहती हुई सभी नदियों का प्रवाह भले ही रुक जाए,
देशभक्ति का रुके न जज्बा, फौलाद तिरंगा लाया हूँ,
फूल और माला नहीं हाथ, मैं साथ तिरंगा लाया हूँ।