पहली नज़र VIKAS UPAMANYU
पहली नज़र
VIKAS UPAMANYUसुना है पहली नज़र में प्यार होता है,
बेवक्त, बेवजह, बेहिसाब होता है,
धड़कन-ऐ-दिल कुछ इस तरह रुक जाती है,
जैसे साँझ कोई भोर को तरस जाती है।
कभी पूछ लेना तुम भी हाल ऐ-दिल मुझसे,
छिपा लेंगे हम सभी राज़-ऐ-दिल तुझसे,
मिजाज़ कुछ ऐसा अपना बना लिया हमने,
हुस्न-ऐ-मोहब्बत और अंजाम-ऐ-अश्क अब वो ही जाने।
तम्मनाओं के सागर को अब छोड़ दो ‘उपमन्यु’,
इस डाल का पंछी अब उस डाल जा बैठा है,
इन आँखों के मंजर आज भी उसके लिए तरसते हैं,
जो इस समंदर के दरिया को भी प्यासा छोड़ दिए है।