तेज़ाब प्रतिबन्ध प्रार्थना  VIKAS UPAMANYU

तेज़ाब प्रतिबन्ध प्रार्थना

VIKAS UPAMANYU

हे प्रधान सेवक जी है ये विनती आपसे हमारी,
जल रही है बेटियाँ एक-एक कर तुम्हारी,
मैंने झेला है ये नर्क इस दुनिया का,
न सह पाएगी इस दर्द को कोई और चिरैया तुम्हारी।
 

सोच रहे हो आप सबके बारे,
अब सोचो, कर दो कुछ मदद आप हमारी,
रोक लगा दो इस नर्क रुपी तेज़ाब पर,
ताकि न जल पाए कोई और बेटी तुम्हारी।
 

खेल समझकर कर देते हैं जो ये अत्याचार,
मौन रहता है आपका प्रशासन,
बेटी हो गई आपकी लाचार।
अब तो बना दो ऐसा कानून,
जिससे काँप जाए रूह उसकी बार-बार।
 

एक आशा की किरण जगती है
देखते हैं हम जब भी आपकी ओर,
लगा दो प्रतिबन्ध तेज़ाब पर,
सहमी है बेटी आपकी पर हो सकती है नई भोर।
 

सोचो कुछ तो अब आप हमारे बारे,
बन सकते हो आप तारणहार हमारे,
विनती करता है ‘उपमन्यु’ आपसे,
बचा लो अपनी बेटियाँ अब इस नर्क से,
करता हूँ विनती वंदन चरणों में तुम्हारे।

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