वो है ना संभाल लेगा Atul Mani Tripathi
वो है ना संभाल लेगा
Atul Mani Tripathiजब कभी सोचता हूँ कि 'अब क्या होगा',
बिन रास्ते की मंज़िल का कौन राज़दा होगा,
समझ नहीं आता ये लहरें डुबाएँगी,
या हर बार की तरह सब पार होगा,
तभी एक आवाज़ कुछ यूँ कहती है,
जैसे वो है ना संभाल लेगा।
चलते हुए क्या कुछ ऐसा भी इम्तिहान होगा,
जो ना सोचा था शायद वैसा अंजाम होगा,
और हौसले जब ऐसे टूट जाते हैं,
जैसे बिन चाँदनी के चाँद होगा,
तभी शाम कुछ यूँ ढलती है,
जैस वो है ना संभाल लेगा।
सवाल कभी ऐसे भी उठे
जिनका ना कोई जवाब होगा,
बे मौसम की बारिश का
शायद ही कोई इलाज होगा,
तभी बादल ने कुछ यूँ कहा,
अरे वो है ना संभाल लेगा।