ख़याल रोशन "अनुनाद"
ख़याल
रोशन "अनुनाद"सोने के लिए कोशिश,
जागने से ऊबा हूँ,
जागता हूँ तो ख्यालों में
हर वक्त डूबा हूँ।
बेख़याली इतनी कि
खुद का पता कहाँ,
खुद से पूछता हूँ कि
बता तू है कहाँ।
ख़यालों में क्या सोचता हूँ
जब ये सोचता हूँ,
तब खुद पर लगता है
प्रश्नचिह्न, मेरी सोच मेरी समझ,
गुजरे वक़्त से
क्यों मेल खाती हैं,
जारी वक़्त से क्यों
क्यों ताल मेल नहीं बना पाती,
फिर मैं क्यों सोचता हूँ।