राष्ट्रवाद रोशन "अनुनाद"
राष्ट्रवाद
रोशन "अनुनाद"राष्ट्रवाद जिन्दाबाद है,
सबकी सोच
मेरे जैसी होनी चाहिए।
राष्ट्र निर्माण के लिए
सब एक जैसा,
बिल्कुल मेरे जैसा सोचें,
जैसा मैं सोचता हूँ,
ऐसा ही सोचने से
राष्ट्र निर्माण होगा।
यहाँ व्यक्ति की बात नहीं,
उसकी कोई औकात नहीं,
प्यार करने, इज़हार करने,
इसका तौर तरीक़ा,
तमीज़ सलीका, मुझसे सीखो।
किससे प्यार करूँ,
कैसे इज़हार करूँ,
मुझसे पूछना होगा,
किसकी जय बोलनी है,
मैं तय करूँगा,
उसकी जय तो
फिर बोलनी ही होगी।
तेरे पिता कौन हैं,
तेरे दादा परदादा
कौन थे,
कौन थे तेरे पूर्वज,
ये मैं तय करूँगा।
तू क्या बोलेगा,
कितना बोलेगा,
जो बोलेगा,
ओ सही है या गलत
ये मैं तय करूँगा,
लोकतंत्र है,
पूरी अज़ादी है,
आपके चुने प्रतिनिधि,
आपकी सरकार,
आपके हितों की
रक्षा करेगी,
आपके हित क्या हैं,
मैं तय करूँगा।
मुझे राष्ट्र निर्माण करना है,
इसलिए तुम्हारी औकात,
ईंट, गारे, पत्थर से
ज़्यादा नहीं,
किस पत्थर, किस ईंट को,
कहाँ लगना है,
छः इंची लगाना है
या नौ इंची,
मैं तय करूँगा,
तुम्हें कोई तकलीफ न हो,
इसकी जिम्मेदारी मेरी है,
पर तुम्हारी तकलीफ़ क्या होगी,
मैं तय करूँगा।
मैं तय करूँगा कि
कैसे तुम्हारी तकलीफ़
कम हो, ख़त्म हो,
मनुष्य के इतिहास में,
राष्ट्र सबसे पहले बना,
फिर समाज़, फिर समुदाय,
फिर पड़ोस, फिर परिवार,
सबसे बाद में तू आया,
तू इन सब के लिए है
ये तेरे लिए नहीं,
ये परिभाषा दिमाग में,
अपने अंतर्मन में बिठा ले,
तेरे अधिकार पूर्ण सुरक्षित,
तेरे अधिकार मैं तय करूँगा,
तू क्या खाएगा, क्या खर्च करेगा,
कितना और कब खर्च करेगा,
मैं तय करूँगा,
क्योंकि राष्ट्र निर्माण के लिए
यह ज़रूरी है।
व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता,
उसे देशद्रोही बना देती है,
वह राष्ट्र विरोधी गतिविधियों
में लिप्त हो जाता है,
देश के कॉलेज में यही हो रहा,
हर छात्र देश विरोधी हो रहा,
इसलिए हे नासमझ भारतीय,
मुझे लोकतन्त्र बचाने में
सहयोग कर या देशद्रोही बन जा।