अजीब कश्मकश  guddu singh kundan

अजीब कश्मकश

guddu singh kundan

दुविधा और काँटों से भरे
दुर्गम पथ पर है जीवन रुका,
कठिन है निश्चय कर पाना
लक्ष्य की ओर से भटक जाना,
श्वास को न क्षीण करो
वीरता का नीर चखो,
अजीब कश्मकश है यह उलझन।
 

अशांति, चिंतन भरी
कैसी बिडम्बना है यह,
आगे बढ़ने की होड़ में,
कुछ बनने, कुछ पाने की दौड़ में
आस लिए हर मानव
निकल पड़ा इस खेल में,
अजीब कश्मकश है यह उलझन।
 

सोच कर लिया हर फैसला
हमेशा विजय दिलाता है,
जीवन है तो सुख दुःख आवे
क्यों भला इससे घबराना,
कायरता का प्रतीक है रुकना
निरंतर अभ्यास करते जाना,
अजीब कश्मकश है यह उलझन।

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