तूफ़ान लेकर चलता हूँ  VIVEK ROUSHAN

तूफ़ान लेकर चलता हूँ

VIVEK ROUSHAN

आँखों में अश्कों का तूफ़ान लेकर चलता हूँ,
मैं अपने दिल में अनकही दास्तान ले कर चलता हूँ।

इंसानों की भीड़ में अब मैं तन्हा हो कर चलता हूँ,
मैं अपने साथ यादों का कारवाँ लेकर चलता हूँ।

जिस हमसफ़र ने मेरे हाथों को बीच सफर में छोड़ दिया,
मैं उस हमसफ़र का रंज-ओ-ग़म साथ ले कर चलता हूँ।

मैं चलता हूँ कि चलना ही मुसाफिर का काम है,
चुप-चाप ही सही पर सदा सही रास्तों पर चलता हूँ।

अब न कोई दिल में रंजिश है ना ही किसी की जुस्तजू है,
लड़खड़ाकर ही सही पर सिर्फ अपनी मंज़िल की ओर चलता हूँ।

आँखों में अश्कों का तूफ़ान लेकर चलता हूँ,
मैं अपने दिल में अनकही दास्तान ले कर चलता हूँ।

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