मोहब्बत Rushi Bhatt
मोहब्बत
Rushi Bhattतू आएगी तो उजास हो जाएगा,
मेरी ग़ज़ल का प्रयास हो जाएगा।
न रही अब कोई उम्मीद या कोई नफरत,
दें दर्द मुझे इतना कि इश्क़ का भी अभ्यास हो जाएगा।
सदियों से ढूँढ रहा हूँ तुझे, सिर्फ एक क्षण के लिए,
तू मिलेगी तब, जब खुद का भी विनाश हो जाएगा।
छा गई हो तुम, तुम और सिर्फ तुम मेरे पूरे अस्तित्व पे,
मिलेगा जो तेरा हाथ, तो दुख का भी उल्लास हो जाएगा।
की थी महोब्बत फकीरों जैसी, उन्हें कहाँ होती ये खबर,
करेंगे महोब्बत गर रोमियो की तरह, तो निजता का भी विनाश हो जाएगा।
नहीं रह सकती मोहब्बत छिपी, प्रकट होती है कोई न कोई रूप में,
गर ऐसे ही करेंगे मोहब्बत, तो समष्टि के साथ भी विलास हो जाएगा।
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यह कविता हमने 6 महीने पहले इस साल की शुरुआत मे लिखी थी उनके लिए जिसे अंग्रेजी में लोग क्रश कहते हैं। फकीर लोगों के पास सिर्फ शब्द होते हैं हाल-ए-बयां के लिए, सोचा था कि शब्द मिलाप कराएँगे परमेश्वर से लेकिन ये रस्मे-राह-ए-महोब्बत हमारे बस की बात न निकली। शब्दों से वस्ल-ए-जाना का तसव्वुर करने वाले अक्सर तसव्वुर में ही विसाल-ए-यार कर पाते हैं, और यही हिदायत देते रहते हैं कि कम से कम तसव्वुर में तो मिलेंगे वो! तसव्वुर ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी होती, जो इस राह-ए-महोब्बत को अनंत से जोड़ देती है।