कसौटी ज़िन्दगी की RAHUL KUMAR BHARATI
कसौटी ज़िन्दगी की
RAHUL KUMAR BHARATIज़िन्दगी हुई मयस्सर आसान नहीं जीना,
झुकी हुई हैं नज़रें ताने हुए है सीना,
कुछ वाकिया हुए जवानी के जोश में,
भूल गए अपनी ही लगन, रक्त और पसीना।
मुश्किल हुई अब ज़िन्दगी न कोई चाह बाकी,
रहता हूँ नशे में जैसे मैकदे का साकी,
न लाना होश में सुनो दुनिया वालों,
रहता हूँ बहुत खुश नहीं देखना है झांकी।
दुनिया के लोगों की अजीब है कहानी,
अपेक्षाओं से भरी इनकी ज़िंदगानी,
उतर गए खरे तो कोहिनूर बन गए,
किंचित यदि हारे नहीं कोई निशानी।