तेरी यादें  Ravi Panwar

तेरी यादें

Ravi Panwar

कभी जीत बनके,
कभी हार बनके,
इन रिश्तों के बीच दीवार बनके,
कहाँ चल दिए, बताओ हमें।
 

माना मैं ही हूँ पागल तुम तो नहीं,
थोड़ा अफ़सोस है पर गम तो नहीं,
मुझ बीमार में फिर से बुखार बनके,
कहाँ चल दिए, बताओ हमें।
 

जुगनू चमकते हैं हर रात में,
और घुंघरू खनकते, तेरी हर बात में,
वो राह हूँ जिसका तुम इंतज़ार बनके,
कहाँ चल दिए, बताओ हमें।
 

मैं था ख़फ़ा, तुम मना लेते गर,
मिट जाती पल में सारी फिकर,
रूठों को भी रूठा दे, वो प्यार बनके,
कहाँ चल दिए, बताओ हमें।
 

चलते-चलते एक दिन क्यों रोका मुझे,
हाथ क्यों पकड़ा और क्यों टोका मुझे,
जज़्बातों में वो पल बेशुमार बनके,
कहाँ चल दिए, बताओ हमें।
 

तू पतंग हैं, और मैं धागा तेरा,
कट जाने पर भी हिस्सा आधा मेरा,
कहाँ छोड़ा, बेवफा यार बनके,
कहाँ चल दिए, बताओ हमें।
 

यादों को लग गई ये किसकी नज़र,
बहुत काट ली छुट्टियाँ इस कदर,
"रवि" सा इस तरह इतवार बनके,
कहाँ चल दिए, बताओ हमें।

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